प्रगतिवादी काव्य धारा (1936-1943 ई.) II यूजीसी नेट एक नई जानकारियाँ


प्रगतिवादी काव्य धारा (1936-1943 ई.)

  प्रगतिवाद की आन्दोलन के रूप में शुरुआत 1936 ई. से मानी जाती है. ‘प्रगतिशील लेखक संघ’ का एक अंतर्राष्ट्रीय अधिवेशन हेनरी बारबूज के नेतृत्व में 1935 ई. में पेरिस में हुआ. इसकी एक स्थाई समिति बना दी गई जिसके अध्यक्ष थे अंग्रेजी के कथाकार फारेस्टर. इसी वर्ष मुल्कराज आनन्द औरसज्जाद जहीर ने लन्दन में भारतीय प्रगतिशील लेखन संघ की स्थापना की. प्रगतिवाद का पहला अधिवेशन 1936 में लखनऊ में हुआ, जिसके सभापति प्रेमचन्द्र थे. दूसरे अधिवेशन का सभापति रविन्द्र नाथ ठाकुर ने किया था. सुमित्रानंदन पन्त का काव्य संग्रह ‘युगवाणी’ प्रगतिवाद का पथम काव्य संग्रह माना जाता है. प्रगतिवाद शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग 1942 ई. में मुक्तिबोध ने अपने एक लेख ‘प्रगतिवाद-एक दृष्टि आगामी कल’ में किया था.

प्रगतिवादी काव्य की प्रमुख प्रवृत्तियाँ :

क.  शोषितों की दीनता का चित्रण

ख.  शोषक वर्ग क ए प्रति घृणा

ग.   धर्म और ईश्वर के प्रति अनास्था
घ.   क्रान्ति की भावना
ङ.    नारी चित्रण
च.   सामाजिक जीवन का यथार्थ चित्रण

प्रमुख प्रगतिवादी कवि :

1.   नागार्जुन (वैद्दनाथ मिश्र)

क.  युगधारा – 1956

ख.  सतरंगे पंखोवाली – 1959

ग.   प्यासी पथराई आँखें
घ.   तालाब की मछलियाँ – 1980
ङ.    तुमने कहा था
च.   खिचड़ी विप्लव देखा हमने
छ.  हजार-हजार बांहों वाली
ज.  भस्मांकुर (खण्ड काव्य)

टिप्पणी : नागार्जुन की प्रसिद्ध कविताएँ है :

अ.  खून और शोले

आ.                       प्रेम का बयान

इ.    अकाल और उसके बाद
ई.    पाषाणी
उ.    सिन्दूर तिलंकित भाल

2.   केदारनाथ अग्रवाल

क.  युग की गंगा – 1947

ख.  नींद के बादल – 1947

ग.   फूल नहीं रंग बोलते हैं 1965
घ.   आग का आइना – 1970
ङ.    समय-समय पर – 1970
च.   पंख और पतवार
छ.  हे मेरी तुम
ज.  मार प्यार के थापें
झ.  अपूर्वा

3.   शिवमंगल सिंह ‘सुमन’

क.  हिल्लोल

ख.  पर आँखें नहीं भरी

ग.   नवयुग के गान
घ.   प्रलय सृजन
ङ.    विश्वास बढ़ता ही गया
च.   विन्ध्य हिमालय
छ.  एशिया जाग उठा
ज.  मिट्टी की बारात
झ.  वाणी की व्यथा

टिप्पणी : गुनिया का यौवन, कलकत्ते का अकाल, और चल रही कुदाली आदि शिवमंगल सिंह सुमन की प्रसिद्ध कविताएँ हैं.

4.   त्रिलोचन

क.  धरती – 1945 
ख. गुलाब और बुलबुल - 1956 
ग.   दिगंत (सानेट) 1957   
घ.   ताप के ताए हुए दिन – 1980 
ङ.    मैं उस जनपद का कवि हूँ – 1980 
च.   शब्द – 1990 

छ.  मिट्टी की बारात

5.   रांगेय राघव

क.  अजेय खण्डहर – 1944   
ख. मेधावी – 1947 
ग.   पांचाली – 1955 

घ.   राह का दीपक

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

प्रमुख महिला कहानीकार और उनके कहानी संग्रह

रीतिकाल के प्रमुख कवि और उनकी रचनाएँ II रीतिकाल की प्रमुख रचनाओं के नाम बताइए II रीतिकाल की चार प्रमुख रचनाओं के नाम II ritikal ke pramukh kaviyon ke naam II ritikal ke pramukh

रीतिकाल क्या है? और उसकी प्रमुख विशेषताएँ II ritikal ki visheshta II ritikal ki paristhitiyon II ritikal ka namkaran II ritikal ki pravritiyan II ritikal ka naamkaran sankshep mein likhe II ritikal ke kavi aur unki rachnaye II रीतिकाल की परिभाषा II रीतिकाल का परिचय