सूफी साधना मार्ग के आयाम II धर्म क्या है? भेद कितने हैं? शब्द की उत्पत्ति कैसे हुई है?

सूफी साधना मार्ग के आयाम

सूफी शब्द अरबी भाषा का है,जो यूनानी भाषा के सोफिया शब्द से निसृत माना जाता है. सूफी दर्शन तसव्वुफ़ कहलाता है. इस्लाम में सूफी उस व्यक्ति को कहाँ जाता है जो तसव्वुफ़ का अनुयायी हो और सभी से प्रेम करता हो. 

सूफी साधना मार्ग के आयाम II धर्म क्या है? भेद कितने हैं? शब्द की उत्पत्ति कैसे हुई है?, sufi kavi
सूफी दर्शन

इस्लाम की दो प्रमुख शाखाएं थीं

1. शरा और 

2. बेसरा

सूफी साधक मलमाती कहलाते हैं. सूफी मत का मूल विकास ईरान में ईस्लाम की बेसरा शाखा से हुआ. सूफी संत में उल्लेखनीय महिला साधिका राबिया, (आठवीं शताब्दी) बसरा की थी. सूफी लोग इस्लामी एकेश्वरवाद को मानते हुए भी, ‘अनलहक’ अर्थात् मैं ब्रह्म हूँ की घोषणा की. सूफी दर्शन तसव्वुफ़ में मानव जीवन को ‘सफर’ और साधक को सालिक या यात्री माना जाता है.

सूफी साधना मार्ग के मार्ग की चार मंजिले और चार अवस्थाएँ :

नासूत - इस अवस्था में साधक शरीअत अर्थात कुरान और हदीस में बताये हुए विधि-निषेधों का पालन करने में लगा रहता है. साधना का यह सबसे निचला स्तर है. यह अवस्था मनुष्य की प्रकृत अवस्था कहलाती है. इसे पार कर साधक दूसरी अवस्था को प्राप्त करता है.

मलमूत – इसमें साधक भौतिक – जगत की तुच्छताओं से ऊपर उठकर पवित्र हो जाता है, और देवदूतों के गुण प्राप्त करने में समर्थ होता जाता है. इस अवस्था में साधक तरीकत अर्थात उपासना के माध्यम से पवित्रता को अपनाता है और अध्यात्मिक यात्रा का अनुसरण करता है.

जबरुत – यह अवस्था मारिफ़त की है. इसमें साधक शक्ति सम्पन्न हो जाता हैं और परमात्मा के मिलन के मार्ग की उसकी बाधाएँ प्राय: दूर हो जाती है.

लाहूत – इस अवस्था में साधक राग-विराग से अतीत होकर वह विशुद्ध ज्ञान प्राप्त करता है. यह साधक के परमात्मा के साथ ‘एकमेक’ होने की अवस्था है. इसी का नाम हकीकत है अर्थात परम सत्यबोध. इस अवस्था में साधक को अपने चरम लक्ष्य की प्राप्ति होती है.

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

प्रमुख महिला कहानीकार और उनके कहानी संग्रह

रीतिकाल के प्रमुख कवि और उनकी रचनाएँ II रीतिकाल की प्रमुख रचनाओं के नाम बताइए II रीतिकाल की चार प्रमुख रचनाओं के नाम II ritikal ke pramukh kaviyon ke naam II ritikal ke pramukh

रीतिकाल क्या है? और उसकी प्रमुख विशेषताएँ II ritikal ki visheshta II ritikal ki paristhitiyon II ritikal ka namkaran II ritikal ki pravritiyan II ritikal ka naamkaran sankshep mein likhe II ritikal ke kavi aur unki rachnaye II रीतिकाल की परिभाषा II रीतिकाल का परिचय