गढ़वाली भाषा II garhwali bhasha II garhwali language II garhwali vocabulary II feature of garhwali language II गढ़वाली भाषा है या बोली II गढ़वाली भाषा कैसे सीखें II गढ़वाली भाषा के शब्द II गढवाली लैंग्वेज


गढ़वाली भाषा II garhwali bhasha II garhwali language II garhwali vocabulary II feature of garhwali language II  गढ़वाली भाषा है या बोली II गढ़वाली भाषा कैसे सीखें II गढ़वाली भाषा के शब्द II गढवाली लैंग्वेज 

गढ़वाल भाषा तथा मंजूरी आदि के आस-पास बोली जाने वाली बोली को ‘गढ़वाली’ कहा जाता है. गढ़वाल उत्तर प्रदेश का एक पहाड़ी जिला है जिसके आधार पर इस बोली का नाम गढ़वाली पड़ा. ‘गढ़वाल’ शब्द के पीछे किंवदंतियाँ हैं कि प्राचीन काल में यहाँ गढ़ों की अधिकता थी जिसके कारण इसे गढ़वाल कहा गया. यह बोली गढ़वाल, टेहरी, अल्मोड़ा, देहरादून, सहारनपुर, बिजनेर और तथा मुरादाबाद जनपदों में बोली जाती है. प्रसिद्ध पाश्चात्य विद्वान डॉ. ग्रियर्सन के ‘भाषा-सर्वेक्षण’ के अनुसार इसके बोलने वालों की संख्या 670824 के लगभग हैं.

गढ़वाली की 10 उपबोलियाँ हैं (garhwali ki upboliya): -

    1.            श्रीनागारिया
    2.            राठी
    3.            लोह्व्या 
    4.            बधानी 
    5.            दसौलया 
    6.            मांझ 
    7.            कुमैया 
    8.            नागपुरिया 
    9.            सलमान
10.            टेहरी
वास्तव में श्री नगरिया ही मूल गढ़वाली हैं.
साहित्यिक दृष्टि से गढ़वाली महत्वपूर्ण बोली नहीं है. किन्तु, इस बोली में लोक-साहित्य प्रभूत मात्रा में हुई है. इसकी लिपि नागरी है. गुमानी इसके प्रसिद्ध कवि हैं.

व्याकरणिक विशेषताएँ gadhvali bhasha vyakaranik visheshta (grammatical features of garhwali language) :- गढ़वाली की व्याकरणिक अथवा ध्वनिगत विशेषताएँ निम्नांकित हैं :-


1.    हिन्दी के आकारांत विशेषण गढ़वाली में ओकारान्त हो जाते हैं. उदहारणत: काला>कालो चेला>चेलो, बड़ा>बड़ो आदि.
2.    गढ़वाली के स्त्रीलिंग प्रत्यय ई, आण, ण, णी, और टी आदि हैं. इन्हीं प्रत्ययों के सहयोग से शब्दों को स्त्रीलिंग बनाया जाता है. जैसे नोना>नौनी, भौज्या>भौज्याण, जोगीण, मास्टर>मास्टररणी, बमणो>बमणोटी.
3.    इसके संख्यावाचक शव्द हैं, यअक, द्वि, दू, चअर, पचअ, नउ, ग्यार, इग्यार, इग्यारा, आदि.
4.    गढ़वाली के उत्तमपुरुष एकवचन के सर्वनाम, मैं, मई, मैंने, मैंन हैं तथा बहुवचन के हम, हमू, हमने, ह्मूने , हमन् आदि हैं.
5.    सार्वनामिक विशेषण-एशो, इनो, वैशो, उनों, जनों, जशो, आदि प्रयुक्त होते हैं. प्रेरणार्थक शब्दों का निर्माण हिन्दी की ही तरह होता है. आ, वा के संयोग से इसका निर्माण होता है. जैसे चल्>चला, चलवा आदि.
6.    इसके क्रिया-विशेषण अब, अबेर, जब, जबेर, जदि, कब करेर, कदि आदि.

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