हिन्दी की कितनी बोलियाँ हैं II हिंदी की उपभाषाएँ कितनी है II hindi bhasha ki boliyan II hindi bhasha ki boliyan ki sankhya II bihari hindi ki boliyan II hindi ki upboliya II hindi bhasha ki upbhasha hai II hindi ki kitni upbhasha hai II hindi bhasha ki upbhasha hai
हिन्दी की कितनी बोलियाँ हैं II हिंदी की उपभाषाएँ कितनी है II hindi bhasha ki boliyan II hindi bhasha ki boliyan ki sankhya II bihari hindi ki boliyan II hindi ki upboliya II hindi bhasha ki upbhasha hai II hindi ki kitni upbhasha hai II hindi bhasha ki upbhasha hai II paschimi hindi ki boliyan II बिहारी हिंदी की बोलियाँ II हिंदी की प्रमुख बोलियों का उल्लेख कीजिए II हिंदी भाषा क्षेत्र की प्रमुख बोलियों का संक्षिप्त परिचय दीजिए II हिंदी भाषा क्षेत्र की प्रमुख बोलियों का संक्षिप्त परिचय दीजिए
भाषा अकेले अस्तित्व विहीन होती है जिस प्रकार भिन्न-भिन्न श्रृंखलाओं एक जंजीर बनती है. उसी प्रकार अनेक उप भाषा एवं बोलियों से एक सुदृढ़भाषा का निर्माण होता है. भाषा के विविध रूपों के अंतर्गत मूल भाषा से लेकर व्यक्तिगत बोली तक का अपना विशिष्ट स्थान होता है. वैसे तो हिन्दी भाषा का क्षेत्र अत्यंत विस्तृत है और ऐतिहासिक दृष्टि से हिन्दी उस प्राचीन संस्कृत शौरसेनी प्राकृत और शौरसेनी अपभ्रंश के क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करती है, जो अपने समय में सर्वाधिक विशाल प्रदेश रहा है. डॉ. सुमीतकुमार चर्टजी के कथनानुसार – ‘यह साहित्यिक भाषा सूरसेन प्रदेश या मध्य प्रदेश की चालू बोली के आधार पर मुख्यत; बनी थी. इससे राजस्थान, गुजरात, पंजाब और कोशल अप्रभावित न रह सके. जब हम हिन्दी भाषा प्रयोगात्मक पक्ष की ओर आते हुए हिन्दी के विशाल क्षेत्र की ओर उसके प्रादेशिक रूपों की ओर ध्यान देते हैं तो यह पाते हैं कि पश्चिमोत्तर में हिमाचल प्रदेश और हरियाणा तक, उत्तर में नेपाल की दक्षिणी सीमाओं तथा भूटान तक, पूर्व में बंगाल की पश्चिमी सीमाओं तक तथा दक्षिण-पूर्व में मध्य प्रदेश-गुजरात की सीमाओं तक हिन्दी भाषा-भाषी क्षेत्र फैला हुआ है, जो बाहर की ओर लगातार फैलता ही जा रहा है. इस क्षेत्र में उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, बिहार और हरियाणा और दिल्ली, राजस्थान प्रान्त पूरा का पूरा आता है. इन्हीं प्रादेशिक भाषा रूपों को विशुद्ध भाषा शास्त्रीय शब्दावली में विभाषा की कह लिया जाता है. हिन्दी के विशाल क्षेत्र का बहुत पहले से ही विभाषा की दृष्टि से हिन्दी और बोलियाँ निम्न हैं :
1. पश्चिमी हिन्दी की बोलियाँ :-
क. बंगारू
ख.खड़ी-बोलियाँ
ग. कन्नौजी
घ. ब्रजभाषा
ङ. बुन्देली
2. पूर्वी बोलियाँ :
क. अवधी
ख. बघेली
ग. छतीसगढ़
3. बिहारी हिन्दी बोलियाँ :-
क. मैथिली
ख.मगही
ग. भोजपुरी
4. राजस्थान की बोलियाँ :-
क. जयपुरी
ख.मेवाती
ग. मालवी
घ. मेवाड़ी (पश्चिमी, राजस्थानी)
5. पहाड़ी बोलियाँ :
क. मध्य पहाड़ी (कुमाऊँ, गढ़वाली)
ख.पूर्वी पहाड़ी (नेपाली)
डॉ. ग्रियर्सन और डॉ. चटर्जी ने अखिल भारतीय आर्य भाषा का वर्गीकरण किया है. इस वर्गीकरण को अमान्य करते हुए डॉ. हरदेव और डॉ. बाहरी ने हिन्दी बोलियों का सर्वाधिक उपयुक्त विवरण पस्तुत किया :-
क. पर्वी खण्ड :
1. पूर्वी हिन्दी – i. बघेली ii. अवधी iii. छत्तीसगढ़
2. बिहारी हिन्दी – i. भोजपुरी ii. मगही iii. मैथिली
ख. पश्चिमी खण्ड :
1. पश्चिमी हिन्दी :- i. कौरवी ii. हरियाणवी iii. दक्षिणी iv. ब्रजभाषा v. बुन्देली vi. कन्नौजी
2. राजस्थानी हिन्दी :- i. मारवाड़ी ii. जयपुरी iii. मेवाती iv. मालवी
3. पहाड़ी हिन्दी :- i. कुमाऊँनी ii. गढ़वाली
हिन्दी की बोलियों के वर्गीकरण के पश्चात् क्रमशः अवधी और ब्रजी का विवेचन :-
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