तुलसीघाट से शुरू हुआ रामकथा का प्रचलन II राम कथा II राम कथा क्या है II राम कथा साहित्य II तुलसी घाट वाराणसी उत्तर प्रदेश II रामकथा उत्पत्ति और विकास PDF II ramayan tulsi katha II tulsi krit ramayan
तुलसीघाट से शुरू हुआ रामकथा का प्रचलन II राम
कथा II राम कथा क्या है II राम कथा साहित्य II तुलसी घाट
वाराणसी उत्तर प्रदेश II रामकथा उत्पत्ति और विकास PDF II ramayan
tulsi katha II tulsi krit ramayan
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तुलसी घाट वाराणसी |
गोस्वामी तुलसीदास (tulsi das) महाराज का तुलसीघाट (tulsi
ghat banaras), tulsi ghat varanasi ही घर था. श्रीरामचरितमानस के किष्किन्धाकाण्ड,
सुन्दरकांड, लंकाकांड और उत्तरकाण्ड या यों कहिए मानस को
यहीं असि-गंग के तीर पर ही रहकर पूरा किया. यह क्षेत्र तब असि क्षेत्र के नाम से
जाना था. गोस्वामी के निवास के कारण कालान्तर में इसे तुलसीघाट कहा गया.
उनका 500 वर्ष पुराना निवास आज तुलसी मंदिर कहा जाता है. यहाँ अखाड़ा भी
स्थापित किया जहाँ श्रीराम कथा का प्रचलन उनके समय से शुरू हुआ. उन्होंने काशी में
रामलीलाएं भी शुरू कराईं.
तुलसी मंदिर में ऊपरी तल पर प्रभु श्रीराम-लक्ष्मण-सीता
विराजमान हैं. मूल में गोस्वामीजी के इष्ट दक्षिणमुखी बालस्वरूप हनुमानजी
सुशोभित हैं. गोस्वामीजी ने 75 वर्ष की आयु में यहाँ श्रीरामचरितमानस
लिखना शुरू किया. लिखा-संवत सोलह सौ एकतीसा, करहूँ कथा हरिपद धर शीशा. ढाई वर्षों
में उन्होंने श्रीरामचरितमानस पूरा किया. यह स्थान हनुमान चालीसा, हनुमान
बाहुक जैसे सिद्ध स्त्रोतों का भी उद्गम स्थल है. यहीं द्वादश ग्रंथावली रत्नावली,
दोहावली, गीतावली आदि की रचना की. गोस्वामीजी के अनुसार श्रीरामचरितमानस
भगवान भवानी-शंकर द्वारा विरचित सादर मंत्र है. उनके द्वारा स्थापित प्रभु श्रीराम-सीता-लक्ष्मण,
बालरूप दक्षिणमुखी हनुमान, चहुंदिशाओ में हनुमत
विग्रहों के अलावा गोस्वामी जी की खड़ाऊँ, उनकी नाव का टुकड़ा, गद्दी
आकर्षण के केन्द्र हैं. यहाँ मानस का हस्तलिखित ग्रन्थ है जिसे पूजा होती है.
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