हिन्दी की उप भाषाएँ II हिन्दी की उपभाषाएँ और बोलियाँ II पूर्वी हिंदी की बोलियाँ II पश्चिमी हिंदी की प्रमुख बोलियां II hindi bhasha ki upbhasha hai II hindi ki kitni upbhasha hai II hindi ki kitni upbhasha aaye hain

हिन्दी की उप भाषाएँ II हिन्दी की उपभाषाएँ और बोलियाँ II पूर्वी हिंदी की बोलियाँ II पश्चिमी हिंदी की प्रमुख बोलियां II hindi bhasha ki upbhasha hai II hindi ki kitni upbhasha hai II hindi ki kitni upbhasha aaye hain


डॉ. ग्रियर्सन ने हिन्दी की विभिन्न बोलियों में आठ की गणना की है और इन्हें दो प्रधान वर्गों में बांटा है. एक वर्ग को उन्होंने पश्चिमी हिन्दी कहा है और दूसरे को पूर्वी हिन्दी. उनके अनुसार ये ही दो हिन्दी की उपभाषाएँ हैं. उन्होंने पहाड़ी, बिहारी, राजस्थानी को अलग भाषाओँ के रूप में स्वीकार किया है. डॉ. धीरेन्द्र वर्मा आदि कुछ विद्वानों का मत है कि ये तीन वर्ग भी हिन्दी के उपभाषा वर्ग ही हैं. इनमें बोली जानेवाली बोलियों के कुछ समूह हैं पर उन सभी का साहित्यिक रूप हिन्दी ही है. इन विभिन्न वर्गों की बोलियों का हिन्दी के परिनिष्ठित रूप से इतनी निकटता भी है कि इन्हें स्वतंत्र भाषा न मानकर हिन्दी की उपभाषा मानना है उपयुक्त हैं. इन प्रत्येक वर्गों में कई-कई बोलियों का समूह है जो परस्पर एक-दूसरे के निकट है तथा भाषिक एकरूपता के कारण उन्हें एक उपभाषा कहा भी जा सकता है. 

हिन्दी की प्रधान पांच उपभाषाएँ और उनके अंतर्गत आनेवाली प्रमुख बोलियाँ इस प्रकार हैं : -


1.    पश्चिमी हिन्दी :- खड़ी बोली, ब्रजभाषा, बाँगरू, कन्नौजी, बुन्देली. 

2.    पूर्वी हिन्दी – अवधी, बघेली, छत्तीसगढ़ी. 

3.    बिहारी – मैथिली, मगही, भोजपुरी. 

4.    राजस्थानी – मारवाड़ी, मालवी, मेवाती, जयपुरी, शेखावटी. 

5.    पहाड़ी – पूर्वी पहाड़ी (नेपाली), मध्य पहाड़ी (कुमायूंनी, गढ़वाली), पश्चिमी पहाड़ी.


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