पहाड़ी उपभाषा वर्ग : पहाड़ी हिंदी की बोलियाँ II पहाड़ी भाषाएँ II पहाड़ी हिंदी की बोलियाँ II पहाड़ी हिन्दी II pahadi bhasha II pahadi hindi II pahadi hindi ki boliyan II pahadi hindi ki boli kya hai



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पूर्वी पहाड़ीपूर्वी पहाड़ी बोली को नेपाली भी कहा जाता है. यह नेपाल की बोली है. इसे नेपाली, पर्वतीय, गुरखाली एवं खसकुरा भी कहते हैं. इसका केन्द्र काठमांडू है. नेपाल राज्य की राजभाषा का महत्त्व प्राप्त करने के कारण इसमें आधुनिक काल में पर्याप्त साहित्य-रचना भी हुई है. पूर्वकाल में इस क्षेत्र की साहित्यिक भाषा हिन्दी ही रही है.


मध्य पहाड़ी – मध्य पहाड़ी के अंतर्गत दो बोलियाँ आती हैं – कुमायूँनी और गढ़वाली. कुमायूँनी का क्षेत्र अल्मोड़ा, नैनीताल हैं तथा गढ़वाली का गढ़वाल तथा मसूरी का निकटवर्ती भाग है. इन दोनों ही बोलियों में पर्याप्त समानता के कारण इन्हें एक साथ मध्य पहाड़ी कहा जाता है. इसका कोई साहित्यिक महत्त्व नहीं है. इन क्षेत्रों में साहित्यिक हिन्दी पूर्णत: अपना ली गयी है. ये बोलियाँ ग्रामीण जनों की बोलचाल में प्रचलित हैं.


पश्चिमी पहाड़ी पश्चिमी पहाड़ी के अंतर्गत छोटी-छोटी तीस के लगभग बोलियाँ आती हैं. इनका कोई प्रधान या सर्वमान्य रूप नहीं है. ये बोलियाँ शिमला के निकटवर्ती प्रदेश की जौनसारी, शिमला की पर्वतीय बोली क्योंथली, कुलू क्षेत्र की कुलूई, चम्बा क्षेत्र की चंबाई बोली.


इस प्रकार व्यापक रूप से विचार करने पर उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, मध्यप्रदेश, हरियाणा, दिल्ली आदि को मिलाकर एक विस्तृत क्षेत्र हिन्दी-प्रदेश के रूप में बनता है. इस क्षेत्र की समस्त उपभाषाएँ और बोलियाँ हिन्दी के अंतर्गत आती हैं. पर भाषावैज्ञानिक दृष्टि से इन बोलियों में पर्याप्त अंतर पड़ जाता है. इसी कारण कुछ विद्वानों की दृष्टि में हिन्दी के अंतर्गत केवल पश्चिमी हिन्दी की पाँच बोलियाँखड़ीबोली, ब्रजभाषा, बाँगरू, कन्नौजी और बुन्देली को ही रखा जा सकता है. कुछ इनके अतिरिक्त केवल पूर्वी हिन्दी की अवधी, बोली, छत्तीसगढ़ी को हिन्दी की बोलियों के अंतर्गत मानते हैं. 

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