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आदिकाल (1050-1375) II नामकरण II प्रवृत्ति II वीरगाथा काल एक नई जानकारी

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आदिकाल (1050-1375)   आदिकाल 1.      हिन्दी साहित्येतिहास के विभिन्न कालों के नामकरण का प्रथम श्रेय जार्ज ग्रियर्सन को है. 2.      हिन्दी साहित्येतिहास के आरंभिक काल के नामकरण का प्रश्न विवादास्पद है. इस काल को विभिन्न इतिहासकारों ने अलग – अलग नामकरण किया है जो निम्नलिखित इस प्रकार से है:- हिन्दी साहित्य के आदि काल का नामकरण :- 1.       चारण काल – जॉर्ज ग्रियर्सन 2.       प्रारंभिक काल – मिश्र बन्धु 3.       वीरगाथा काल – रामरामचंद्र शुक्ल 4.       आदि काल – हजारी प्रसाद 5.       संधि काल व चारण काल – रामकुमार वर्मा 6.       सिद्ध-सामंत काल – राहुल सांकृत्यायन 7.       वीर काल – विश्वनाथ प्रसाद मिश्र 8.       प्रारंभिक काल – डॉ. गणपति चन्द्र गुप्त 9.       बीज वपन काल – महावीर प्रसाद ...

हिन्दी की सूफी प्रेमाख्यान काव्य परंपरा II UGC NET II बहुत महत्वपूर्ण जानकारी केवल आप सभी के लिए

हिन्दी की सूफी प्रेमाख्यान काव्य परंपरा डॉ. गणपति चन्द्र गुप्त ने अपनी इतिहास कृति ‘हिन्दी साहित्य का वैज्ञानिक इतिहास’ में देखा जाता है. उन्होंने इस परंपरा के अंतर्गत सूफी एवं गैर सूफी रूपों से जुड़ी कृतियों को एक मानकर उसे ‘रोमंसिक कथा काव्य परंपरा’ का नाम दिया है. उन्होंने इस नामकरण को केन्द्र में रखते हुए टिप्पणी दी है – ‘प्रस्तुत काव्य परंपरा को अब तक विभिन्न नामों से पुकारा जाता रहा है. यथा – प्रेमार्गी (सूफी शाखा, प्रेमकाव्य, प्रेम गाथा, प्रेम कथानक काव्य, प्रेम काव्य,प्रेमाख्यान आदि’) यह आश्चर्य की बात है कि हिन्दी के विभिन्न विद्वानों ने इस विभिन्न नामों का प्रयोग करते हुए समय इनके कार्य का स्पष्टीकरण करने का  प्रयास नहीं किया है’. उन्होंने रोमांसिक कथा काव्य की दो श्रेणियाँ की है : a.        पूर्वमध्यकाल की रचनाएँ b.       उत्तर मध्यकाल की रचनाएँ a.        पूर्व मध्यकाल के अंतर्गत डॉ. गणपति चन्द्र गुप्त ने निम्नलिखित काव्यों को रखा है :- 1.     ...

सूफी साधना मार्ग के आयाम II धर्म क्या है? भेद कितने हैं? शब्द की उत्पत्ति कैसे हुई है?

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सूफी साधना मार्ग के आयाम सूफी शब्द अरबी भाषा का है,जो यूनानी भाषा के सोफिया शब्द से निसृत माना जाता है. सूफी दर्शन तसव्वुफ़ कहलाता है. इस्लाम में सूफी उस व्यक्ति को कहाँ जाता है जो तसव्वुफ़ का अनुयायी हो और सभी से प्रेम करता हो.  सूफी दर्शन इस्लाम की दो प्रमुख शाखाएं थीं :  1. शरा और  2. बेसरा सूफी साधक मलमाती कहलाते हैं. सूफी मत का मूल विकास ईरान में ईस्लाम की बेसरा शाखा से हुआ. सूफी संत में उल्लेखनीय महिला साधिका राबिया, (आठवीं शताब्दी) बसरा की थी. सूफी लोग इस्लामी एकेश्वरवाद को मानते हुए भी, ‘अनलहक’ अर्थात् मैं ब्रह्म हूँ की घोषणा की. सूफी दर्शन तसव्वुफ़ में मानव जीवन को ‘सफर’ और साधक को सालिक या यात्री माना जाता है. सूफी साधना मार्ग के मार्ग की चार मंजिले और चार अवस्थाएँ : नासूत - इस अवस्था में साधक शरीअत अर्थात कुरान और हदीस में बताये हुए विधि-निषेधों का पालन करने में लगा रहता है. साधना का यह सबसे निचला स्तर है. यह अवस्था मनुष्य की प्रकृत अवस्था कहलाती है. इसे पार कर साधक दूसरी अवस्था को प्राप्त करता है. मलमूत – इसमें साधक भौतिक – जगत की त...
हिन्दी भाषा साहित्य प्रमुख रेखा चित्र-संस्मरण, यात्रावृत्त 1.             वे देवता नहीं है, मुड़ मुड़के देखता हूँ – राजेन्द्र यादव 2.             ग़ालिब छुटी शराब – रविन्द्र कालिया 3.             कुछ चेहरे कुछ चिन्तन – धर्मवीर भारती 4.             स्वाधीन भारत – सुधाकर पाण्डेय 5.             सफर सुहाने – पुष्पा भारती 6.             भोर का सपना – रामदरश मिश्र 7.             एक हरा भरा अकाल – आलोक तोमर 8.             स्मृतियों के छन्द – रामदरश मिश्र 9.             बड़े भाई – रामविलास श...